महात्मा हंसराज जी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन काल में कुछ नया करने की लें प्रेरणा

महात्मा हंसराज जी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन काल में कुछ नया करने की लें प्रेरणा
 
Mahatma Hansraj

महात्मा हंसराज आधुनिक युग के ऋषि थे जिन्होंने अपनी तपस्या के बल पर भारत देश में शिक्षा का प्रकाश फैलाया । उनके नेतृत्व में 1886 में एक स्कूल लाहौर में खोला गया था। ऐसे स्कूलों की संख्या आज बढ़कर 3000 से भी अधिक हो गई है" यह उद्गार डी.ए.वी. संस्थाओं के क्षेत्रीय निदेशक तथा हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, अर्बन स्टेट ,जींद में आयोजित छात्रों और अध्यापकों की एक सभा में कहे।

इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को महात्मा हंसराज जी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन काल में कुछ नया करने की प्रेरणा दी। महात्मा हंसराज ने बी.ए. पास करने के पश्चात अपना सारा जीवन डी.ए.वी. और आर्य समाज की सेवा में लगा दिया तथा वेतन के रूप में एक पैसा भी नहीं लिया।

अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने अनेक डी.ए.वी. संस्थाओं की स्थापना की और डी.ए.वी. कालेज प्रबंधन समिति के प्रधान तथा कार्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा के प्रधान के रूप में भी कार्य किया। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध भी चेतना पैदा करने का काम किया।

साहित्यिक दृष्टि से उन्होंने हिंदी के प्रचार- प्रसार में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मौके पर स्कूल में एक विशाल यज्ञ किया गया जिसका आयोजन स्कूल की प्राचार्य श्रीमती रश्मि विद्यार्थी के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने कहा शिक्षा एक यज्ञ है, यज्ञ की महक से वातावरण शुद्ध हो जाता है। शिक्षा के प्रकाश से व्यक्ति का जीवन रोशन हो जाता है ।

उन्होंने महात्मा हंसराज को त्याग और तपस्या की मूर्ति बताया जिसके कारण उन्हें महात्मा के रूप में याद किया जाता है। इस मौके पर बच्चों द्वारा भाषण और भजन प्रसारित किए गए। मंच का संचालन श्रीमती सीमा रेड्ढू द्वारा किया गया । यज्ञ का संचालक श्री रोहतास शास्त्री और करण देव शास्त्री ने किया जिनके प्रयास से डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल अर्बन स्टेट में प्रतिदिन यज्ञ किया जाता है जिसमें सभी बच्चे अपना जन्मदिन उत्सव पूर्वक मनाते हैं तथा अपने जीवन को शुद्ध बनाने के संस्कार ग्रहण करते हैं।

Tags