जींद में श्रद्धालुओं ने मां कुष्मांडा से मांगी मन्नतें
APNAPATRAKAR:हरियाणा प्रदेश के जींद जिले में नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना के लिए मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ी। शहर के प्रसिद्ध मंदिर जयंती देवी मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, सोमनाथ मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, रघुनाथ मंदिर में सुबह से ही भक्त माथा टेकने के लिए पहुंचना शुरू हो गए। पूजा अर्चना के लिए मंदिरों में आए श्रद्धालुओं ने मंदिरों के बाहर सजी दुकानों से बच्चों के लिए खिलौने की खरीददारी भी की।
जयंती देवी मंंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि यदि मां का यह स्वरूप आविर्भूत नहीं होता तो संपूर्ण संसार अपने ही विषैले पदार्थों से स्वयं ही नष्ट हो जाता। पूरे जगत में चारों ओर विनाश, अंधकार एवं अज्ञानता का बोलबाला होता। मां कुष्मांडा ने ही संसार में पनपी पूरी विषैली ऊर्जा को स्वयं पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।
ब्रह्मांड उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा। कुष्मांडा देवी का वास सूर्य मंडल के भीतर लोक में है। सूर्य लोक में रहने की शक्ति व क्षमता केवल इन्हीं में है। उन्होंने कहा कि नवरात्र के नौ दिन मानव जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। इन दिनों में जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से मां भगवती की अराधना करता है मां भगवती उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है।
सबकी सृजनहार, सबकी पालनहार, सबकी तारनहार है मां जगदंबा
आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि जर्रे-जर्रे में है मां का वास, वही है सबकी सृजनहार, वही है सबकी पालनहार वही है सबकी तारनहार। जब वही सब कुछ कर रही है, तो फिर ईष्र्या किससे, नफरत किससे। अत: मां के विराट स्वरूप से प्यार करो, उसी को चाहो, उसी के बन जाओ। आचार्य पवन शर्मा माता वैष्णवी धाम में नवार्ण महायज्ञ के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मां से प्यार करने का अर्थ है मां के बनाए हुए बंदों से प्रेम करना। यदि कोई मनुष्य यह कहे कि मैं अपने पड़ोसी से तो घृणा करता हूं किंतु ईश्वर से प्रेम करता हूं तो वह झूठा है। उन्होंने कहा कि जो प्राणी मंदिर में तो मां की मूर्ति की पूजा करता है किंतु घट.घट वासी मां की उपेक्षा करता है तो उसकी वह भक्ति दिखावा है, छलावा है। ईश्वर करे हम ऐसी स्थिति में आ जाएं जब हमें सर्वत्र मां का ही दर्शन होए जर्रे-जर्रे में उसकी ही झांकी दिखाई दे। अभी से इस साधना में लग जाओ व तब तक रूकना मत जब तक मां को पा न लो।